Friday, 18 October 2019

खटीमा का इकलौता कुम्हार

खटीमा से टनकपुर को जाते समय वन चुंगी से 50 मीटर आगे रॉड के बायीं ओर पिछले 20-25 सालों से #दीपावली के समय मां के साथ दीऐं खरीदने जाता था ।
आज मन हुआ कि खटीमा में #कुम्हारों की खत्म होती हुई कला की अंतिम पीढ़ी से परिचय कराऊँ ।
#कुम्हार_परिवार
#स्व_नेम_चंद_जी के 6पुत्रों के आज 32पौते पोतियों है !
#सुदेश कुमार(44वर्ष)उनके इकलौते पौते है,जो आज #चाक चलाकर बर्तन बना रहे है ।
#घासीराम जी के स्कूल से लगी #झोपड़ी में यह परिवार रहता था । तब अमाऊं गाँव था और दूर दूर तक बहुत कम घर होते थे ।
नेम चंद जी झोपड़ी के बाहर #चाक चलाते थे तो स्कूल से आते समय हम भी खूब देर तक #खड़े देखते रहते थे । जो कि अब बच्चों को #नसीब नही हो सकता ।

#सिकुड़ता_व्यापार
सुदेश कुमार बताते है कि दादा जी के #समधी के पिताजी ने #125वर्ष पहले अपना नाम #लिखा_चाक(चाक को जूम करके देखेंगे तो #हिम्मतराम दिखेगा) हमारे परिवार को रोजगार के लिये दी थी ।
दादा के साथ हम भी थोड़ा बहुत करते रहते थे। तब #तालाब होते थे जिसकी मिट्टी के बर्तन अच्छे बनते है!अब तालाब कहाँ? जंगल से #मिट्टी_लकड़ी लेने जाते है तो जंगलात वाले हमारी #साईकिलों के #टायर तोड़ देते है । मिट्टी #उत्तरप्रदेश से चोरी-छिप्पे खरीदकर लानी पड़ती है।
घर के आगे रेलवे पटरी तक पूरे खेत खाली होते थे जहाँ कच्चे बर्तन हम #सूखा लेते थे ।
अब तो जगह बची नही 9फिट के मकान की दोमंजिली छत में यह बनाने व सुखाने पड़ते है ।
वो बताते है कि #उत्तर प्रदेश सरकार ने कुम्हारों को #निशुल्क_चाक व मिट्टी के लिये पट्टे जारी किये है । यहां तो जंगलात वाले #हमेंपीटते है ।
#चकाचौध में पिछड़ गया ।
दीपावली में लोग बतौर शगुन दीएँ ख़रीदने आते है , पहले बच्चो को लोग गुल्लक देकर बचत सिखाते थे वह परंम्परा भी अब समाप्त हो गई ।
कलश के लिये या फिर किसी की म्रत्यु पर घड़े खरीदते है अब घरों में कौन घड़ो में पीने के लिये पानी रखता है ।
दीये की जगह चीन निर्मित लड़ियों ने ले ली घरों में RO लग गए ।
ग्राहक 5₹ दर्जन दीएं खरीदतें बोलता है कि इतने महंगे! मिट्टी ही तो है । कैसे सम्भालें इसको?
#ट्रेंड बदल गया
तब चाक को हाथ से चलाते थे अब इलेक्ट्रिक चाक खुद अपने पैसों से लेकर आएं है सुदेश कुमार ।
हिन्दू कभी भी छोटे व्यापारी को निचोड़ना चाहता है चाहे वह किसान हो, गांव का सब्जी वाला, फल वाला, दूध वाला आदि । इस कारण छोटा काश्तकार बर्बाद हो गया। किसी ने हल्ला नही मचाया उस समय बड़ा व्यापारी तमाशा देखता रहा।
आज #online_मार्किट में बड़े व्यापारी का ग्राहक तमाशा देख रहा है ।
#निवेदन
खटीमा इस परिवार ने यदि व्यापार छोड़ दिया तो हम म्रत्यु के समय मिट्टी का घड़ा कहाँ से लायेंगे?
प्लीज बच्चो को गिफ्ट में गुल्लक दो बचत सीखेंगे, मिट्टी गमले में लगा तुलसी का पेड़ और घड़े का पानी स्वस्थ रखेगा।
क्या हम अपने घरों में #51_101_501दीएँ इस दीपावली में जला सकते है ?
क्या गरीब बस्तियों में 1दर्जन दीएँ व तेल अपने घरों में पटाखे जलाने के साथ ही #दान दे सकते है?



Wednesday, 29 April 2015

खटीमा फाइबर्स से 32 लाख की नगदी गायब- Khatima Fibres Ltd

cash of 32 million missing from Khatima Fibres Ltd.
खटीमा फाइबर्स के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आरसी रस्तोगी ने बैंक ऑफ बड़ौदा और आईसीआईसीआई बैंक पर कारखाने और आवास से करोड़ों का सामान गायब होने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। जिसमें आवास से कर्मचारियों के वेतन 32 लाख रुपए की नगदी, दो मोबाइल, कैमरा और तीन सूटकेस में रखे कपड़े शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि कारखाने से पांच क्विंटल तांबे की प्लेटें, दो कंप्यूटर सिस्टम, दो विद्युत मोटरें और कई टूल बाक्स भी चोरी हो गए हैं।