Thursday, 6 December 2012

About Khatima History

खटीमा यों तो एक बहुत पुराना क़स्बा है । यह थारू जाति का आदिवासी क्षेत्र है।
खटीमा को मुगलों के शासनकाल में इसे थारू जन-जाति के लोगों ने आबाद किया था।
यहाँ के मूल निवासी महाराणा प्रताप के वंशज राणा-थारू है।
थारू समाज के एक व्यक्ति से मैंने इस जन-जाति के विकास के बारे में पूछा तो
 उसने मुझे कुछ यों समझाया।
‘‘जिस समय महाराणा प्रताप स्वर्गवासी हो गये थे। तब बहुत सी राजपूत रानियों
 ने सती होकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। लेकिन कुछ महिलायें अपने
 साथ अपने दास-दासियों को लेकर वहाँ से पलायन कर गये थे । 
उनमें हमारे पूर्वज भी रहे होंगे। ये तराई के जंगलों में आकर बस गये थे।
’’मैने उससे पूछा- ‘‘इस जगह का नाम खटीमा क्यों पड़ गया?’’
उसने उत्तर दिया-
‘‘उन दिनों यहाँ मलेरिया और काला बुखार का प्रकोप महामारी का विकराल रूप ले लेता था। लोग बीमार हो जाते थे और वो खाट में पड़ कर ही वैद्य के यहाँ जाते थे। इसीलिए इसका नाम खटीमा अर्थात् खाटमा पड़ गया।’’
उसने आगे बताया-
‘‘थारू समाज में विवाह के समय जब बारात जाती है तो वर को रजाई ओढ़ा दी जाती है और खाट पर बैठा कर ही उसकी बारात चढ़ाई जाती है। वैसे आजकल रजाई का स्थान कम्बल ने ले लिया है। इसलिए भी इस जगह को खाटमा अर्थात् खटीमा पुकारा जाता है।’’


(खटीमा में थारू नृत्य का मंचन)
संक्षेप में मुझे इतना ही खटीमा का इतिहास पता लगा है।
उक्त संक्षेप मुझे डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी के ब्लॉग उच्चारण  के 
 "जानिए खटीमा को" नामक  पोस्ट से मिली जो
 khatima से सम्बंधित होने के कारण मै आप तक यह पंहुचा रहा हु

5 comments:

  1. मेरी पोस्ट मेरे नाम से लगाने के लिए शुक्रिया!

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  2. Dr R c shashtri Ji khatima ke sandarbh me aapke lekh aapke prayash behad sarahniya hai Aap nirantar likh rahe hai Ishwar va maa sarshwati aapko or adhik shakti pradan karei

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  3. krpya sahi jankari hone per hi, apne vichar de .logo ko galat jankari n de.

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  4. https://youtu.be/eb-djVZaNBI

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