इन सवालों का है आपके पास जवाब??
- हर बार सिर्फ रावण को ही क्यों जलाया जाता है?
- रावण के साथ-साथ उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ को भी क्यों जलाया जाता है?
- कंस और हिरणकश्यप के पुतले क्यों नहीं जलाए जाते?
रावण महाविद्वान था और प्रकांड पंडित भी। उसका एक ही कसूर बस यही था कि उसने राम की पत्नी सीता का अपहरण किया था। वो भी अपनी बहन शूर्पणखा के अपमान का बदला लेने के लिए….। सीता के साथ दुराचार करने की कोई बात कहीं नहीं आई।
जबकि कंस ने बिना कसूर अपनी बहन देवकी और बहनोई वासुदेव को जेल में डाल दिया था और उनकी 7 नवजात संतानों को अपने हाथों से मार डाला था।
हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को ऐसी घोर यातनाएं दीं कि कोई भी पिता ऐसा नहीं कर सकता।
रावण से ज्यादा कंस और हिरणकश्यप कसूरवार थे। उन्होंने घोर पाप किए थे।
- अपने ही भांजों को अपनी ही तलवार से काट डालना या उनकी गर्दन दबोच देना यह अपराध तो रावण के अपराध से बहुत ज्यादा घृणित हैं। तो ऐसे में कंस के मारे जाने वाले दिन को क्यों नहीं मनाया जाता?
- कंस को क्यों नहीं जलाया जाता?
- अपने ही बेटे प्रहलाद को जिंदा आग में जलाने की साजिश रचने वाले पिता हिरण्कश्यप का भी यह अपराध रावण के किए अपराध के मुकाबले ज्यादा बड़ा मालूम होता है। तो क्यों नहीं हिरण्कश्यप को भी जलाया जाता?
(होलिकादहन पर कंस का नहीं बल्कि उसकी बहन होलिका का दहन किया जाता है। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं चल सकती। प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी तो वरदान विफल सिद्ध हुआ। प्रहलाद बच गया और होलिका उसी आग में दहन हो गई।)
रावण को जलाने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम राम थे। मर्यादा पुरुषोत्तम यानी सदैव मर्यादा के अनुसार कार्य करने वाला श्रेष्ठ पुरुष। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम इसलिए कहा जाता है कि उन्होंने अपने जीवन में कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन मर्यादा के अनुरूप ही निर्वाह किया।
- आज जो लोग रावण को जलाते हैं क्या उनमें राम जैसी खूबियां हैं, राम जैसे गुण हैं?
- क्या रावण को जलाने वाले खुद मर्यादा पुरुषोत्तम हैं?
- किस हक से वे रावण को आग लगाते हैं?
- रावण का अपराध तो समझ में आता है लेकिन कुंभकरण और मेघनाथ ने ऐसा क्या घोर अपराध किया था कि उन्हें ही रावण के साथ जलाया जाता है।
- हर वर्ष रावण को जलाने वाले राम की संख्या लाखों होते हुए भी हर वर्ष लाखों सीता माता जैसी देवियों की इज्जत फिर क्यों लुट रही है?
सच वर्तमान व्यवस्थाओं को देख तो यही लगता है की अपने मन को खुश रखने का एक अच्छा मनोरजन भर है दशहरा ...
ReplyDelete..दशहरा की तरह ही यदि कंस को भी मार जलाने की तिथि घोषित हो जाय तो फिर समझो एक और दिन का तमाशा और मनोरंजन का दिन ...
...
विचारणीय। रावण खुले घूम रहे हैं सदनों के अन्दर भी बाहर भी क्या कर लेंगे आप ?
ReplyDeleteविचारणीय। रावण खुले घूम रहे हैं सदनों के अन्दर भी बाहर भी क्या कर लेंगे आप ?संसद तो इनका संरक्षण करना चाहती थी भला हो सुप्रीम कोर्ट का उस मति मंद का जो सही बात भी गलत जगह गलत तरीके से कहता है। वरना ये एक दागी पार्टी ही बना लेते।
ReplyDelete्कुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रहते हैं अभी मैने भी अपनी एक पोस्ट मे ऐसा ही एक प्रश्न किया था देखियेगा इस लिंक पर http://vandana-zindagi.blogspot.in/2013/10/blog-post_9.html
ReplyDelete